दिलकश परदे लगे राज़ के रखवालों के, हाँ हमसब हैं चोर पूछ लो सरकारों से.. आशाओं के सभी किनारे लगे सरकने, गए माँगने लोग आसरे मजधारों से.. आये थे नेता जी घर पर प्यार बांटने, हमे बचा ही लेना दुश्मन..! इन यारों से.. एक तसल्ली के घर में हम ठहरे,, बेघर, आस लिए बैठे हैं अब तो इन्कारों से.. हम आवारा रूह तड़पकर चले ढूँढने, वो तन्हाई आज शोरों के बाजारों से.. आज अहिंसा के सायों में जले लोग ये, आये हैं इन्साफ माँगने तलवारों से.. एक गुलाबी फूल हाथ में लेकर राहुल, हाल पूछने चले दहशतों के मारों से…