कल रात को जब आखो में एक आँसू आया,
मैंने उससे पूछा तू बता बाहर क्यों आया,,
बेचारे ने सुबकते हुए अपना मुह खोला,
अगले ही क्षण बोला,,,
“इमेजिन वालों ने फिर से स्वयंवर सजाया है,
इस बार सर्कस के लिए वीणा मालिक को बुलाया है..
सोचकर दुखी होता हूँ इमेजिन की स्वयंवर लीला,,,
अब लोगों का चरित्र परीक्षण वो करेगी,
जिसका स्वयं ही है करेक्टर ढीला….”
मैंने उससे पूछा तू बता बाहर क्यों आया,,
बेचारे ने सुबकते हुए अपना मुह खोला,
अगले ही क्षण बोला,,,
“इमेजिन वालों ने फिर से स्वयंवर सजाया है,
इस बार सर्कस के लिए वीणा मालिक को बुलाया है..
सोचकर दुखी होता हूँ इमेजिन की स्वयंवर लीला,,,
अब लोगों का चरित्र परीक्षण वो करेगी,
जिसका स्वयं ही है करेक्टर ढीला….”
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