हमारे लाख मना करने पर भी हमारे घर के चक्कर काटता हुआ मिल गया भ्रष्टाचार..
हमने डांटा : नहीं मानोगे यार
तो बोला : चलिए आपने हमें यार तो कहा अब आगे का काम हम सम्भाल लेंगे आप हमको पाल लीजिए आपके बाल-बच्चों को हम पाल लेंगे
...
हमने कहा : भ्रष्टाचार जी! किसी नेता या अफ़सर के बच्चे को पालना और बात है इन्सान के बच्चे को पालना आसान नहीं है
वो बोला : जो वक्त के साथ नहीं चलता इंसान नहीं है मैं आज का वक्त हूँ कलयुग की धमनियों में बहता हुआ रक्त हूँ कहने को काला हूँ मगर मेरे कई रंग हैं दहेज़, बेरोज़गारी, हड़ताल और दंगे मेरे ही बीस सूत्री कार्यक्रम के अंग हैं मेरे ही इशारे पर रात में हुस्न नाचता है और दिन में पंडित रामायण बांचता है मैं जिसके साथ हूँ वह हर कानून तोड़ सकता है अदलत की कुर्सी का चेहरा चाहे जिस ओर मोड़ सकता है उसके आंगन में अंगड़ाई लेती है गुलाबी रात और दरवाज़े पर दस्तक देती है सुनहरी भोर उसके हाथ में चांदी का जूता है जिसके सर पर पड़ता है वही चिल्लाता है वंस मोर वंस मोर वंस मोर इसलिए कहता हूँ कि मेरे साथ हो लो और बहती गंगा में हाथ धो लो
हमने कहा : गटर को गंगा कहते हो? ये तो वक्त की बात है जो भारत वर्ष में रह रहे हो
वो बोला : भारत और भ्रष्टाचार की राशि एक है कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारी ही देख-रेख है राजनीति हमारी प्रेमिका और पार्टी औलाद है आज़ादी हमारी आया और नेता हमारा दामाद है
हमने कहा : ठीक कहते हो भ्रष्टाचार जी! दामाद चुनाव में खड़ा हो जाता है और जीतने के बाद उसकी अँगुली छोटी
और नाख़ून बड़ा हो जाता है मगर याद रखना दामादों का भविष्य काला है बस, तूफ़ान आने ही वाला है
वो बोला : तूफ़ान आए चाहे आंधी अपना तो एक ही नारा है भरो तिज़ोरी चांदी की जै बोलो महात्मा गांधी की
हमने कहा : अपने नापाक मुँह से गांधी का नाम तो मत लो
वो बोला : इस ज़माने में गांधी का नाम मेरे सिवाय कौन लेता है गांधी के सिद्धांतों पर चलने वालों को जीने कौन देता है..
मत भूलो कि भ्रष्टाचार इस ज़माने की लाचारी है हमें मालूम है कि आप कवि हैं और आपने कविता की कौन-सी लाइन
कहाँ से मारी है।
हमने डांटा : नहीं मानोगे यार
तो बोला : चलिए आपने हमें यार तो कहा अब आगे का काम हम सम्भाल लेंगे आप हमको पाल लीजिए आपके बाल-बच्चों को हम पाल लेंगे
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हमने कहा : भ्रष्टाचार जी! किसी नेता या अफ़सर के बच्चे को पालना और बात है इन्सान के बच्चे को पालना आसान नहीं है
वो बोला : जो वक्त के साथ नहीं चलता इंसान नहीं है मैं आज का वक्त हूँ कलयुग की धमनियों में बहता हुआ रक्त हूँ कहने को काला हूँ मगर मेरे कई रंग हैं दहेज़, बेरोज़गारी, हड़ताल और दंगे मेरे ही बीस सूत्री कार्यक्रम के अंग हैं मेरे ही इशारे पर रात में हुस्न नाचता है और दिन में पंडित रामायण बांचता है मैं जिसके साथ हूँ वह हर कानून तोड़ सकता है अदलत की कुर्सी का चेहरा चाहे जिस ओर मोड़ सकता है उसके आंगन में अंगड़ाई लेती है गुलाबी रात और दरवाज़े पर दस्तक देती है सुनहरी भोर उसके हाथ में चांदी का जूता है जिसके सर पर पड़ता है वही चिल्लाता है वंस मोर वंस मोर वंस मोर इसलिए कहता हूँ कि मेरे साथ हो लो और बहती गंगा में हाथ धो लो
हमने कहा : गटर को गंगा कहते हो? ये तो वक्त की बात है जो भारत वर्ष में रह रहे हो
वो बोला : भारत और भ्रष्टाचार की राशि एक है कश्मीर से कन्याकुमारी तक हमारी ही देख-रेख है राजनीति हमारी प्रेमिका और पार्टी औलाद है आज़ादी हमारी आया और नेता हमारा दामाद है
हमने कहा : ठीक कहते हो भ्रष्टाचार जी! दामाद चुनाव में खड़ा हो जाता है और जीतने के बाद उसकी अँगुली छोटी
और नाख़ून बड़ा हो जाता है मगर याद रखना दामादों का भविष्य काला है बस, तूफ़ान आने ही वाला है
वो बोला : तूफ़ान आए चाहे आंधी अपना तो एक ही नारा है भरो तिज़ोरी चांदी की जै बोलो महात्मा गांधी की
हमने कहा : अपने नापाक मुँह से गांधी का नाम तो मत लो
वो बोला : इस ज़माने में गांधी का नाम मेरे सिवाय कौन लेता है गांधी के सिद्धांतों पर चलने वालों को जीने कौन देता है..
मत भूलो कि भ्रष्टाचार इस ज़माने की लाचारी है हमें मालूम है कि आप कवि हैं और आपने कविता की कौन-सी लाइन
कहाँ से मारी है।
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