दो दिन पहले की बात बताऊँ,
सबको अपनी व्यथा सुनाऊं,,
हम बाल कटाने गए दुकान,
भरपूर दिया नई ने सम्मान,,
बोला-"बैठो भाई जान,
किस तरह होगा कटिंग का काम,,"
हमने बोला-"करो उस-तरह,
पहले कटवाए थे जिस तरह,,"
वो ससुरा कुछ अनपढ़ ठहरा,
था शायद एक कान से बहरा,,
उस-तरह को समझ उस्तरा,
सर पे मेरे फेर दिया उस्तरा,,
अब गंजे होकर लौटे हैं,
और चादर तान के सोते हैं,,
तब तक शकल किसे दिखलायें,
जब तक बाल ये उग न जाएँ..!!
सबको अपनी व्यथा सुनाऊं,,
हम बाल कटाने गए दुकान,
भरपूर दिया नई ने सम्मान,,
बोला-"बैठो भाई जान,
किस तरह होगा कटिंग का काम,,"
हमने बोला-"करो उस-तरह,
पहले कटवाए थे जिस तरह,,"
वो ससुरा कुछ अनपढ़ ठहरा,
था शायद एक कान से बहरा,,
उस-तरह को समझ उस्तरा,
सर पे मेरे फेर दिया उस्तरा,,
अब गंजे होकर लौटे हैं,
और चादर तान के सोते हैं,,
तब तक शकल किसे दिखलायें,
जब तक बाल ये उग न जाएँ..!!
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