आज मैंने अपने आंसुओं को बहुत समझाया,
"क्यों भरी महफ़िल में तुमने फिर मुझे सताया,,
अच्छे लगते हो तुम जब भी तन्हाई में आते हो,
लेकिन भरी महफ़िल आकर मेरा मजाक क्यों बनाते हो,,!!"
इसपर तड़पकर आंसुओं ने भी मुह खोला,
थोडा सिसकते हुए एक आंसू बोला..
"हर वक़्त भावना-विहीन लोगों से घिरे रहना,
शोभा नहीं देता ऐसी भीड़ को महफ़िल कहना,,
आप अपना समझकर लोगों को जब व्यथा बताते हैं,
लोग उसे मनोरंजन समझकर तालियाँ बजाते हैं,,
ऐसी महफ़िल में जब भी आपको तनहा पाते हैं,
ना चाहते हुए भी आपके पास चले आते हैं..!!"
"क्यों भरी महफ़िल में तुमने फिर मुझे सताया,,
अच्छे लगते हो तुम जब भी तन्हाई में आते हो,
लेकिन भरी महफ़िल आकर मेरा मजाक क्यों बनाते हो,,!!"
इसपर तड़पकर आंसुओं ने भी मुह खोला,
थोडा सिसकते हुए एक आंसू बोला..
"हर वक़्त भावना-विहीन लोगों से घिरे रहना,
शोभा नहीं देता ऐसी भीड़ को महफ़िल कहना,,
आप अपना समझकर लोगों को जब व्यथा बताते हैं,
लोग उसे मनोरंजन समझकर तालियाँ बजाते हैं,,
ऐसी महफ़िल में जब भी आपको तनहा पाते हैं,
ना चाहते हुए भी आपके पास चले आते हैं..!!"
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