बड़ी मन्नतों के बाद किसी के, घर में आती है एक बेटी, कभी मुस्काकर कभी तुतलाकर, रौनक फैलाती है एक बेटी,, फ्रॉक पहन माथे पर बिंदी, छम-छम करके चलती बेटी, पल भर में सब तोड़ खिलौने, घर-घर खेला करती बेटी,, माँ-बाबा दादा-दादी की, सबकी यही चहेती बेटी, रोज़ नए खेलों से अपने, सपने कई दिखाती बेटी,, कब ये वक़्त फिसल जाता है, पढने जाने लगती बेटी, राजकुमार मिलने के सपने, दिल में सजाने लगती बेटी,, पिता की चिंता बढ़ जाती है, घर में एक सायानी बेटी, माँ-बाबा की इज्जत अरमानो को,रखे संजो के रानी बेटी,, पिता करे वादा बेटी से, अपने से अच्छा घर ढूढेंगे, माँ दिलासा देती है कह कर, सौ में एक अनोखा वर ढूढेंगे,, होत दिखाई जब बेटी की, नहीं पसंद आने का डर, पसंद अगर आ भी जाये तो, मांग बड़ी होने का डर,, सभी डरों से मुक्त होते ही, बहू किसी की बन जाती बेटी, बाबुल का घर छोड़ के अब तो, नया घरोंदा बनाती बेटी,, दूजे के घर को अपना करने, लेके विदा चली जाती बेटी, घर सूना है द्वार है सूना, यादो में रह जाती बेटी,, वक़्त के साथ बदलता पहलु, पिता जी नाना बन जाते, वही चहल-पहल फिर आती है, जब बेटी संग आती बेटी..!! By-( Doc Ravi Prata...