उसकी आँखों की सुर्खियाँ दे रहीं हैं पता,
की रात उसने भी जाग कर गुजारी होगी,,
बिस्तर की सिलवटें बयाँ कर रही हैं दास्ताँ,
के जुदाई की पहली रात उसपर किस क़दर भारी होगी,,
अब कौन करता होगा तेरे हुस्न की तारीफ़,
हमारे बाद उलझी हुयी ज़ुल्फ़ किसने संवारी होगी,,
तूने अपना समझ के इक बार माँगा तो होता,
जान की कसम क्या जान हमे जान से प्यारी होती,,
मंजिल तो दूर न थी मगर हौसले कायम न रख सके 'रवि',
शायद कहीं मैं थक गया, कहीं उसने भी हिम्मत हारी होगी..!!
की रात उसने भी जाग कर गुजारी होगी,,
बिस्तर की सिलवटें बयाँ कर रही हैं दास्ताँ,
के जुदाई की पहली रात उसपर किस क़दर भारी होगी,,
अब कौन करता होगा तेरे हुस्न की तारीफ़,
हमारे बाद उलझी हुयी ज़ुल्फ़ किसने संवारी होगी,,
तूने अपना समझ के इक बार माँगा तो होता,
जान की कसम क्या जान हमे जान से प्यारी होती,,
मंजिल तो दूर न थी मगर हौसले कायम न रख सके 'रवि',
शायद कहीं मैं थक गया, कहीं उसने भी हिम्मत हारी होगी..!!
vaah! very nice and beautiful!
ReplyDeleteThanx Vidisha...
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