नव विहान का सूरज बनकर, चमके तेरा नाम,
मरे-जिएँ आँखों में झलके तेरा रूप ललाम,,
तुझमें खेले गाँधी गौतम,कृष्ण राम बलराम,
दिन मढ़ता है सोना तन पर, लाली मढ़ती शाम,,
छू न सके नापाक हाथ ये अपने चारों धाम,
रावण मार पधारे जैसे, आज अवध में राम,,
तेरा शहर स्वर्ग बन जाए, नंदनवन हो ग्राम,
तेरा नाम बढ़ाएँगे हम, होकर भी बदनाम,,
मेरी भारत माता मेरा, तुझको शत-शत बार प्रणाम..!! (जय हिंद)
मरे-जिएँ आँखों में झलके तेरा रूप ललाम,,
तुझमें खेले गाँधी गौतम,कृष्ण राम बलराम,
दिन मढ़ता है सोना तन पर, लाली मढ़ती शाम,,
छू न सके नापाक हाथ ये अपने चारों धाम,
रावण मार पधारे जैसे, आज अवध में राम,,
तेरा शहर स्वर्ग बन जाए, नंदनवन हो ग्राम,
तेरा नाम बढ़ाएँगे हम, होकर भी बदनाम,,
मेरी भारत माता मेरा, तुझको शत-शत बार प्रणाम..!! (जय हिंद)
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