किशनी के जब भरे बाजार में कोई वंदना पिटती है, समाजवाद के इसी समाज में इंसानियत सिसकती है..!! कानपुर में जब कोई आरज़ू फंदे पर लटकती है, राजा के अन्धे शासन में मानवता ही मरती है....!! जाति धर्म से ऊपर उठकर, अब हमे सुनिशित करना है, मुफ्त का भत्ता पाना है, या हमें नौकरी करना है..!! दुष्ट अमानव तत्वों का, प्रतिकार हमें अब करना है, सत्ता मद में चूर हैं जो, डर उनके अंदर भरना है...!!