दुनियां को अजब रंग, दिखाती हैं लड़कियाँ मर्दों को उंगली पर, नचाती हैं लड़कियाँ कपड़ों के बदलते फैशन से, लगती हैं जैसे दर्जियों के कारोबार, चलाती हैं लड़कियाँ मेकअप बगैर कहीं भी, दिखती नहीं हैं अब तो चेहरे पे एक चेहरा, चढ़ाती हैं लड़कियाँ बुढियां भी कम नहीं हैं, करती हैं खूब तमाशा, बाल कटा-कटा कर, कहलाती हैं लड़कियाँ दुनिया के हर टॉपिक पे, करवालो इनसे बातें बोलने में कब मात, खाती हैं लड़कियाँ देख-देख के एक दूसरे को, होती है इनको जैलस तारीफ किसी और की, कहाँ कर पाती हैं लड़कियाँ एक्टिंग करने में कोई, सानी नहीं है इनका एक्टरों को भी पीछे, छोड़ जाती हैं लड़कियाँ छोटी-छोटी बातों पर, ये हो कर नाराज़ मगरमच्छ के आंसू, बहाती हैं लड़कियाँ तमन्ना यही रहती है, के हो जाए शादी रोने का मात्र ड्रामा, रचाती हैं लड़कियाँ दिन-रात ताने देकर, सर पे करें ये तांडव मर्दों को भी गंजा, बनाती हैं लड़कियाँ रिश्तों की दूरियों को, किलोमीटरों बढ़ाएं ये आग कुछ ऐसी, भड़काती हैं लड़कियाँ सोचकर लिख "रवि", न लेना इनसे पंगा अच्छे अच्छों को नाको-चने, चाबवाती हैं लड़कियाँ...!! BY- ( Doc Ravi Pratap Sing...