आओ कुछ देर हँसते हैं,मोहब्बत पर इनायत पर… ये बे-बुनियाद बातें हैं, सभी रिश्ते सभी नाते… कहीं कोई नहीं मरता, किसी के वास्ते जाना, ये सब है फेर लफ्ज़ों का, है सारा खेल जस्बों का.. नहीं महबूब कोई भी,सभी जुमले से कसते हैं… उसी को याद करते हैं, आओ कुछ देर हँसते हैं.. सांस लेना भी बिन जिसके, हमें इक जुर्म लगता था, हुस्न उसका स्वर्ण जैसा, बला का तेज़ लगता था… जो साया बन के रहता था,जुदा अब उस के रस्ते हैं.. आओ कुछ देर हस्ते हैं, आओ कुछ देर हस्ते हैं...!!